https://rdnews02.wordpress.com/2021/11/01/%e0%a4%95%e0%a4%bf%e0%a4%a4%e0%a4%a8%e0%a5%80-%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%a1%e0%a4%82%e0%a4%ac%e0%a4%a8%e0%a4%be-%e0%a4%b9%e0%a5%88-%e0%a4%95%e0%a4%bf-%e0%a4%95%e0%a5%88%e0%a4%82%e0%a4%b8%e0%a4%b0/
कितनी विडंबना है कि कैंसर, एड्स, कुपोषण, शराब, तम्बाकू, गुटखा इत्यादि पर असंख्य विज्ञापन बने हैं इस देश में यहां तक कि लिंगभेद, रंगभेद पर कम ही सही मगर बात हुई ही है लेकिन जातिवाद के खिलाफ कभी किसी की हिम्मत नहीं हुई कि इसपर कोई विज्ञापन बना सकें।